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Viren Dangwal : समादृत कवि-लेखक वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय
Viren Dangwal Ka Jivan Parichay : वीरेन डंगवाल आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि एवं लेखक हैं। उन्होंने हिंदी काव्य को समृद्ध करने के साथ ही कई पाश्चात्य कवियों की रचनाओं का हिंदी भाषा में अनुवाद किया है। वहीं, पेशे से हिंदी के प्राध्यापक रहे वीरेन डंगवाल ने इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्ष तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तंभ-लेखन का कार्य भी किया था। वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी रह चुके हैं।
वीरेन डंगवाल को उनके प्रथम काव्य-संग्रह ‘इसी दुनिया में’ के लिए “रघुवीर सहाय समृति पुरस्कार” और “श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। वहीं दूसरे काव्य संग्रह ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ के लिए वर्ष 2004 में “साहित्य अकादमी पुरस्कार” एवं वर्ष 2002 में “शमशेर सम्मान” से नवाजा गया था।
बता दें कि वीरेन डंगवाल की काव्य रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब समादृत कवि-लेखक वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय (Viren Dangwal Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) |
जन्म | 5 अगस्त, 1947 |
जन्म स्थान | कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड |
शिक्षा | एम.ए डी.लिट्. |
पेशा | कवि, लेखक, प्राध्यापक |
पिता का नाम | रघुनंदन प्रसद डंगवाल |
पत्नी का नाम | डॉ.
रीता डंगवाल |
संतान | प्रफुल्ल और प्रशांत |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | काव्य |
प्रमुख रचनाएँ | इसी दुनिया’, ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ और ‘स्याही ताल’ |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, रघुवीर सहाय समृति पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार व ‘शमशेर सम्मान’ |
निधन | 28 सितंबर, 2015 |
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में हुआ था जन्म – Viren Dangwal Ka Jivan Parichay
प्रतिष्ठित कवि वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त, 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में कीर्तिनगर नामक स्थान पर रहा हुआ था। उनके पिता का नाम ‘रघुनंदन प्रसद डंगवाल’ था जो कि सरकारी सेवा में वरिष्ठ अधिकारी थे। बताया जाता है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ़्फ़रनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली और नैनीताल में हुई थी। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए और ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से हिंदी में एम.ए.
और ‘आधुनिक हिंदी कविता के मिथकों और प्रतीकों’ विषय पर डी.लिट्.
Who is haywood nelson parents quotesकी उपाधि हासिल की।
साहित्य के क्षेत्र में हुआ पर्दापण
वीरेन डंगवाल शिक्षा के उपरांत वर्ष 1971 में हिंदी के प्राध्यापक के रूप में पढ़ाने लगे थे। माना जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। वे एक कुशल अनुवादक भी थे उन्होंने कई पाश्चात्य कवियों ‘बर्टोल्ट ब्रेख्त’, ‘पाब्लो नेरूदा’, ‘वास्को पोपा’, ‘मिरोस्लाव होलुब’, ‘तादेयुश रोज़ेविच’ और तुर्की के महाकवि ‘नाज़िम हिकमत’ की कविताओं का सरल हिंदी भाषा में अनुवाद किया था।
इसके साथ ही वीरेन डंगवाल पत्रकारिता से भी जुड़े रहे। उन्होंने इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्ष तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तंभ-लेखन का कार्य किया था। वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी रहे हैं।
वीरेन डंगवाल की रचनाएँ – Viren Dangwal Ki Rachnaye
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal Biography handset Hindi) ने अपनी साहित्यिक रचनाओं में सामान्य जन और हाशिए पर स्थित जीवन के विलक्षण ब्यौरे एवं दृश्यों का सजीव चित्रण किया हैं। उन्होंने ऐसे बहुत से विषयों और पशु-पक्षियों को अपनी कविता का आधार बनाया है, जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में अनदेखा कर देते हैं। उनका पहला काव्य-संग्रह वर्ष 1991 में “इसी दुनिया में’’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ था।
बता दें कि प्रख्यात कवि ‘मंगलेश डबराल’ के संपादन में ‘कविता वीरेन’ शीर्षक से वीरेन डंगवाल की नई-पुरानी 227 कविताओं का संकलन किया गया है। यहाँ वीरेन डंगवाल की प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं :-
काव्य-संग्रह
काव्य-संग्रह | प्रकाशन |
इसी दुनिया में | 1991 |
दुश्चक्र में स्रष्टा | 2002 |
स्याही ताल | 2009 |
कवि ने कहा : चुनी हुई कविताएं | अज्ञात |
पुरस्कार एवं सम्मान
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal Ka Jivan Parichay) को हिंदी काव्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- वीरेन डंगवाल को अपने प्रथम काव्य-संग्रह “इसी दुनिया में” के लिए प्रतिष्ठित “श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार” और “रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
- वहीं उनके दूसरे काव्य संग्रह “दुष्चक्र में स्रष्टा” के लिए उन्हें वर्ष 2004 में “साहित्य अकादमी पुरस्कार” और वर्ष 2002 “शमशेर सम्मान” से नवाजा गया था।
68 वर्ष की आयु में निधन
वीरेन डंगवाल ने कई दशकों तक हिंदी काव्य में अनुपम कव्य कृतियों का सृजन किया था। किंतु लंबी बीमारी के कारण उनका 28 सितंबर, 2015 को बरेली, उत्तर प्रदेश में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए साहित्य जगत में जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ समादृत कवि-लेखक वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय (Viren Dangwal Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
वीरेन डंगवाल एक भारतीय कवि, शिक्षाविद और पत्रकार थे।
उनका जन्म 5 अगस्त, 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में कीर्तिनगर नामक स्थान पर रहा हुआ था।
वीरेन डंगवाल को उनके काव्य संग्रह “दुश्चक्र में स्रष्टा” के लिए वर्ष 2004 में “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
उनका पहला काव्य संग्रह “इसी दुनिया में” वर्ष 1991 में प्रकाशित हुआ था।
वीरेन डंगवाल का लंबी बीमारी के बाद 28 सितंबर, 2015 को 68 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
आशा है कि आपको समादृत कवि-लेखक वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय (Viren Dangwal Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Believe Edu के साथ बने रहें।